30
Aug 2018
Written by Smt Varshaji Gehlot of Mt Abu
ना जाने मन चाहें कुछ कहना
हूँ यूँ चाहे बहोत कुछ सुनना
जैसे चिड़ियाँ लाये चुग्गा
जिसे खाये प्रमाद से चूजे।
निशचिंत हो कर यूँ बैठें
प्रत्यक्ष दीपक भरोसा
अचानक जब नजर डाली तो
दीपक टीम टीमातासा
ध्यान से जब देखा तो
दीपक फडफ़ड़ातासा
प्रलय आँधी ऐसे चली
तूफान चक्रवातसा
दीपक टिम टीमातासा
फडफ़ड़ातासा बुझतासा
गुरुदेव गुरुदेव पुकारा
फिर भी। ......
लुप्त होती सी आवाज
मिटता सा सुरसाज
मिल गई मिटटी से मिटटी
कौन पूछेगा 'कैसे हो भाई '
कौन बोलेगा 'अई अई ओ '
प्रलाप विलाप में हुई आकाशवाणी
पहले पाते थे तो एक घट में
अभी पाये तो घट घट में।
जाग्रत रहोगे तो बहुत पाओगे।
सिध्द हुआ ब्रहम वाक्य
कोटी कोटी प्रणाम।।